क्या है मुकद्दर ?
इस मुकद्दर से लड़ना है मुझे,
ख़ामोश नहीं रहना है कभी,
ज़िन्दगी से हर रोज़ कुछ कहना है मुझे,
जो मिला है वो काफ़ी नही,
जो ना मिला उसको हासिल करना है मुझे,
कोई कितनी भी तख़लीफ़ क्यों न दे?
अपने सपनों का जहां पाना है मुझे।
अपनी इल्तज़ाओं के ख़ातिर जी रहा हुं,
अपनी तक़दीर के भरोसे नहीं चलना मुझे,
अपने रास्ते खुद बनाने का शौक रखता हूं,
मन्ज़िल कितनी भी दूर क्यों ना हो?
किसी और के नक्शे कदम पर नहीं चलना मुझे।
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