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Sunday, June 26, 2011

क्या है मुकद्दर ?



क्या है मुकद्दर ?
इस मुकद्दर से ड़ना है मुझे,
ख़ामोश हीं रहना है कभी,
ज़िन्दगी से हर रोज़ कुछ कहना है मुझे,
जो मिला है वो काफ़ी नही,
जो ना मिला उसको हासिल करना है मुझे,
कोई कितनी भी तख़लीफ़ क्यों दे?
अपने सपनों का हां पाना है मुझे।
अपनी इल्तज़ाओं के ख़ातिर जी रहा हुं,
पनी क़दी के भरोसे हीं चलना मुझे,
अपने रास्ते खुद नाने का शौक रखता हूं,
न्ज़िल कितनी भी दूर क्यों ना हो?
किसी और के नक्शे कदम पर नहीं चलना मुझे।




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